“चिंतन करो, चिंता नहीं” – स्वामी विवेकानंद की किताब का समीक्षा
किताब के बारे में:
लेखक: स्वामी विवेकानंद
प्रकाशन वर्ष: १९१०
पृष्ठ: १२३
“चिंतन करो, चिंता नहीं” एक ऐसी पुस्तक है जो मन की शांति और सफलता के मार्ग को प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखी गई है और इसका प्रकाशन १९१० में हुआ था। इसमें कुल १२३ पृष्ठ हैं। स्वामी विवेकानंद एक महान योगी, धार्मिक नेता, और ध्यान शिक्षक थे, जिन्होंने अपने जीवन के दौरान अनगिनत लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान किया।
“चिंतन करो, चिंता नहीं” की प्रमुख संदेश यह है कि चिंता से हमें मुक्ति मिल सकती है और सकारात्मक सोच हमें सफलता की दिशा में आगे बढ़ा सकती है। स्वामी विवेकानंद ने इस पुस्तक में मन की शक्ति को कैसे उपयोग किया जा सकता है, यह बताया है, और विभिन्न परिस्थितियों में साहसपूर्वक कैसे आगे बढ़ा जा सकता है।
स्वामी विवेकानंद की दृष्टि से, चिंतन या मेधावी विचार करने से हम अपनी चेतना को सुधार सकते हैं और अपने जीवन की समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं। वे चिंतन की महत्वपूर्णता को समझाते हैं और बताते हैं कि चिंतन कैसे हमें आत्म-विश्वास, निर्णय करने की क्षमता, और सकारात्मकता प्रदान कर सकता है।
“चिंतन करो, चिंता नहीं” के पृष्ठों में स्वामी विवेकानंद ने विभिन्न विचारों, उद्धरणों, और उपायों को समाहित किया है जो जीवन में समृद्धि और खुशहाली की दिशा में मदद कर सकते हैं। उन्होंने अपने अनुभवों से इसे और भी रोचक और प्रेरणादायक बनाया है।
पुस्तक में स्वामी विवेकानंद की विचारशीलता और गहराई से बताया गया है कि कैसे चिंतन और ध्यान से हम अपने मन को शांत कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकते हैं। उन्होंने बताया है कि चिंता कैसे हमारी प्रगति में बाधा बनती है और इसे कैसे दूर किया जा सकता है।
स्वामी विवेकानंद की “चिंतन करो, चिंता नहीं” एक ऐसी पुस्तक है जो हमें जीवन में सफलता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है। इस पुस्तक का प्रकाशन सन् १९१० में हुआ था और यह पुस्तक स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचारों का एक संग्रह है।
स्वामी विवेकानंद एक विद्वान्, योगी, और आध्यात्मिक नेता थे जिन्होंने अपने जीवन को समर्पित कर लोगों को सत्य, ध्यान, और धर्म की ओर प्रेरित किया। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने और समझने का मौका देती हैं।
“चिंतन करो, चिंता नहीं” में स्वामी विवेकानंद ने मन की शक्ति को कैसे उपयोग किया जा सकता है, यह बताया है। वे चिंता और अशांति के कारणों पर विचार करते हैं और बताते हैं कि चिंता से कैसे निपटा जाए।
पुस्तक में स्वामी विवेकानंद ने विभिन्न विचारों, उद्धरणों, और उपायों को समाहित किया है जो जीवन में सफलता की दिशा में मदद कर सकते हैं। उन्होंने अपने अनुभवों से इसे और भी रोचक और प्रेरणादायक बनाया है।
“चिंतन करो, चिंता नहीं” एक ऐसी पुस्तक है जो हमें सफलता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है। इस पुस्तक का प्रकाशन सन् १९१० में हुआ था और यह पुस्तक स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचारों का एक संग्रह है।
स्वामी विवेकानंद एक विद्वान्, योगी, और आध्यात्मिक नेता थे जिन्होंने अपने जीवन को समर्पित कर लोगों को सत्य, ध्यान, और धर्म की ओर प्रेरित किया। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने और समझने का मौका देती हैं।
“चिंतन करो, चिंता नहीं” में स्वामी विवेकानंद ने मन की शक्ति को कैसे उपयोग किया जा सकता है, यह बताया है। वे चिंता और अशांति के कारणों पर विचार करते हैं और बताते हैं कि चिंता से कैसे निपटा जाए।